Monday, 23 November 2015

'VRINDAVAN_A PRISON'

Hindi poem by Rashmi Bajaj bringing out the misogynist sentiment in the famous religious place.

Saturday, 21 November 2015

FEMINIST HINDI POETRY

Post_postmodern indian woman_her mind intellect ,soul unravelled in poems

Thursday, 19 November 2015

RANI LAKSHMI BAI'S LOVE OF YOGA

Almost unknown aspect of Lakshmi Bai is her love for Yoga and her book(manuscript) on Yoga.

Tuesday, 10 November 2015

POEM On Diwali_'मन के दीपक':रश्मि बजाज

मन के दीपक अगर हम जला न सकें
तो कंदीलें जलाने से क्या फायदा
तम हृदय का अगर हम मिटा न सकें
अंगना_घर जगमगाने से क्या फायदा!

दीन को गर गले हम लगा न सकें
रोज़ मंदिर में जाने से क्या फायदा
हाथ अपना मदद को बढ़ा न सकें
पूजा_थाली उठाने से क्या फायदा!

सोज़ को साज़ गर हम बना न सकें
शेर लिखने_लिखाने से क्या फायदा
सूनी आँखों में सपने बसा न सकें
तो ग़ज़ल गुनगुनाने से क्या फायदा!

                                   रश्मि बजाज