GRATEFULLY REMEMBERING SWAMI VIVEKANANDA _ THE REVOLUTIONARY MONK_ EPITOMIZING THE POSSIBILITIES OF BLOODLESS SOCIO_CULTURAL REVOLUTION.( Very relevant in our times when nothing/no ideology/revolution seems to really work!)
अहिंसक,आध्यात्मिक क्रांति द्वारा सामाजिक-सांस्कृतिक क्रांति के प्रणेता को कृतज्ञतापूर्ण नमन!
रोमा रोलां के शब्दों में 'आध्यात्मिक जगत के नैपोलियन',महान भारतीय आध्यात्मिक मनीषी जिसने उस रूढ़िवादी कठिन समय में वंचितों,दलितों,शूद्रों,स्त्रियों के पक्ष में अपनी सशक्त आवाज़ बुलंद की और आध्यात्मिक क्रांति की मानवतावादी संभावनाओं को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित किया।
*क्रांतिकारी प्ररेणादायक विचार*
"दो बड़े सामजिक अनर्थ भारत की प्रगति में रोड़ा अटका रहे हैं।ये दो कुत्सित अनाचार हैं-स्त्रीजाति के पैरों में पराधीनता की बेड़ी डाले रखना,निर्धन जनता को जातिभेद के नाम पर समस्त मानवी अधिकारों से वंचित रखना..."
"स्मृति आदि लिख कर,नियम-नीति में आबद्ध करके इस देश के पुरुषों ने स्त्रियों को एकदम बच्चा पैदा करने की मशीन बना डाला है...तुम्हारी जाति का जो इतना अधोपतन हुआ है,उसका प्रधान कारण है इन सब शक्ति-मूर्तियों का अपमान करना..."
"हमारे अभिजात पूर्वज साधारण जन समुदाय को ज़माने से पैरों तले कुचलते रहे।इसके फलस्वरूप वे बिचारे एकदम असहाय हो गए।यहां तक कि वे स्वयं को मनुष्य मानना भूल गए..."
"तुम्हारे पितृपुरुष दो दर्शन लिख गए हैं,दस काव्य तैयार कर गए हैं,दस मंदिर उठवा गए हैं और तुम्हारी बुलंद आवाज़ से आकाश फट रहा है; और जिनके रुधिर-स्राव से मनुष्य-जाति की यह जो कुछ उन्नति हुई है,उनके गुणों का गान कौन करता है...भारत के हमेशा के पैरों तले कुचले हुए श्रमजीवियों-तुम लोगों को मैं प्रणाम करता हूँ"
विवेकानंद जी के अनुसार आवश्यक सामाजिक क्रांति का माध्यम आत्मज्ञान तथा अध्यात्म हैं-
"जात-पात का भेदछोड़ कर,हर स्त्री-पुरुष को,प्रत्येक बालक -बालिका को यह सन्देश सुनाओ कि सभी-स्त्री-पुरुष,अमीर-हगरींब,बडे-छोटे ,ऊंच-नीच ,सभी में उसी एक अनंत आत्मा का निवास है जो सर्वव्यापी है,इसीलिए सभी लोग महान एवं साधु हो सकते हैं।कोई भी दुर्बल नहीं है...आत्मा अनन्त, सर्वशक्तिसम्पन्न,सर्वज्ञ है।जीवात्मा को नींद से जाग दो,जब तुम्हारी जीवात्मा प्रबुद्ध हो कर सक्रिय हो उठेगी,तब तुम आप ही शक्ति का अनुभव करोगे,महिमा और महत्ता पाओगे,साधुता आयेगी ,पवित्रता भी आप ही चली आयेगी...आओ हम प्रत्येक व्यक्ति में घोषित करें-उठो,जागो,जब तक तुम ध्येय तक नहीं पहुंच जाते,तब तक चैन न लो..."
"अज्ञान से ही हम परस्पर घृणा करते हैं,अज्ञान से हम एक दूसरे को जानते नहीं और इस लिए प्यार नहीं करते।जब हम एक दूसरे को जान लेंगे ,निश्चय ही प्रेम का उदय होगा..."
REVOLUTION THROUGH LOVE AND CHANGE OF HEART! IS IT WORTHTRYING IN OUR TIMES AS WE DONT HAVE MANY OPTIONS LEFT ON THIS DANGEROUS DISENCHANTED DESPERATE DEADLY PLANET OF OURS TODAY!