इस गो_पालक एवं स्त्री_हंता युग में भारतीय स्त्री की अपने चिरप्रिय आराध्य कान्हा से 'मन की बात':
Sunday, 27 September 2015
Thursday, 24 September 2015
EID poem
होगी ईद मुबारक तब
मस्जिद हो औरत की जब!
रश्मि बजाज
REAL EID
EID will be
Truly Blissful
When
Masjid opens
Her doors
To women...
Waiting for
My Eid
For aeons
I am
Havva's cursed daughter
A woman...
RASHMI BAJAJ
Sunday, 20 September 2015
"मधुशाला" एक फेमिनिस्ट स्त्री की":रश्मि बजाज
"एक स्त्रीवादी कवयित्री की रची 21वीं शताब्दी की स्त्री की मधुशाला जहां पहली बार स्त्री मात्र साकीबाला न हो कर जीवनरस में सराबोर होकर झूमने वाली एक सम्पूर्ण मानव है।यह आज की स्त्री की जिजीविषा तथा जीवट का संगीतमय उत्सव है।अपने अनेक मनोरम मानववादी रूपों में उपस्थित ये मदिरा लिंगभेदपूर्ण रूढिवादी परम्पराओं तथा वैष्म्यपूर्ण सामाजिक एवं धार्मिक आस्थाओं को खंड विखण्ड करती एक साम्यपूर्ण व्यवस्था को स्थापित करती है_स्त्री की मधुयात्रा जन्म से मरण तक।"
(पुस्तक_परिचय से उद्धृत)
प्रकाशक_आत्माराम एन्ड सन्ज़,देहली(2009)
Friday, 4 September 2015
'कृष्ण' पर कविता:रश्मि बजाज
कृष्ण, तुमने अच्छा नहीं किया!अवतार' श्रीकृष्ण से आज की स्त्री का 'मानवीय'संवाद:
कृष्ण
कृष्ण
तुमने अच्छा
नहीं किया
डाली जो परम्परा
बढ़ा चीर
द्रौपदी का
कर दिए तुमने
ग्लानि_उत्तरदायित्व मुक्त
युधिष्ठिर भीष्म
सभी सभागण
कर डाली तुमने
नपुंसक
हमारी सारी
पुरुष जाति
बैठे हैं अब
करते प्रतीक्षा
आएगा अवतार
करेगा रक्षा
हर कूचा
हर गली
है अपमानित
द्रौपदी...