"एक स्त्रीवादी कवयित्री की रची 21वीं शताब्दी की स्त्री की मधुशाला जहां पहली बार स्त्री मात्र साकीबाला न हो कर जीवनरस में सराबोर होकर झूमने वाली एक सम्पूर्ण मानव है।यह आज की स्त्री की जिजीविषा तथा जीवट का संगीतमय उत्सव है।अपने अनेक मनोरम मानववादी रूपों में उपस्थित ये मदिरा लिंगभेदपूर्ण रूढिवादी परम्पराओं तथा वैष्म्यपूर्ण सामाजिक एवं धार्मिक आस्थाओं को खंड विखण्ड करती एक साम्यपूर्ण व्यवस्था को स्थापित करती है_स्त्री की मधुयात्रा जन्म से मरण तक।"
(पुस्तक_परिचय से उद्धृत)
प्रकाशक_आत्माराम एन्ड सन्ज़,देहली(2009)
gud
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