आग ज़िंदा रही...
आँधियों ने
बहुत सितम ढाये
बहुत सी साजिशें
अंधेरों ने कीं
फिर भी
रौशन रहा
बेख़ौफ़ चिराग़
उसके
अंदर की आग
ज़िंदा रही!
उसमें जलता था
सुर्ख खूने-जिगर
उसकी लौ
तेज़ और तेज़ हुई
आज मांगे है
उससे नूरो-जमाल
पशेमाँ आसमां!
पशेमाँ ज़मीं!
-रश्मि बजाज
(Proud of such great Heritage!Hats off)
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