Thursday, 14 April 2016

POETIC TRIBUTE TO BHIM RAO AMBEDKAR_'AAG ZINDA RAHI'

आग ज़िंदा रही...

आँधियों ने
बहुत सितम ढाये
बहुत सी साजिशें
अंधेरों ने कीं
फिर भी
रौशन रहा
बेख़ौफ़ चिराग़
उसके
अंदर की आग
ज़िंदा रही!

उसमें जलता था
सुर्ख खूने-जिगर
उसकी लौ
तेज़ और तेज़ हुई
आज मांगे है
उससे नूरो-जमाल
पशेमाँ आसमां!
पशेमाँ ज़मीं!
                        -रश्मि बजाज

(Proud of such great Heritage!Hats off)

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