Wednesday, 19 October 2016

KARVA CHAUTH POEM :JAI KARUA DEVA!


🌻जय करुआ देवा!🌻

वाह रे
चौथ माता
के करुए!
एक बार में
एक वार में
तूने सबको
चित कर डाला

क्या स्त्रीवादी,प्रगतिवादी
नास्तिक,तार्किक,बुद्धिवादी
आधुनिक और उत्तराधुनिक-
सब के मुँह पर
लग गया ताला

कंगन खनका
चूड़ी छनका
पायल छमका
मेहंदी महका
महल-झोंपड़ी
गांव-शहर जब
बोलीं मिल सब
'इंडियन 'बाला-

करुआ शरणम् गच्छामि!
सजना शरणम् गच्छामि!
देवा शरणम् गच्छामि!

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