Sunday, 1 April 2018

शाहबानो की नवासी,तसलीमा की बेटी

*शाहबानो की नवासी,तसलीमा की बेटी*

शाह -बानो की नवासी
तस्लीमा नसरीन की बेटी
मैं नफीसा बी-
निकाह,तलाक,हलाला
शरीयत,हदीथ,कुरान-
सदियों से
मकबरे के नीचे
दफ़्न है मेरी
ज़िंदा लाश!

लौट आती हैं
मेरी चीखें
कफ़न की
पथरीली दीवारों से
सर टकरा कर,
मेरी परवाज़ें
मस्जिद के
नुकीले बन्द
दरवाज़ों से
पर कटवा कर!

नहीं बोलता
कोई रूमी
बुल्लेशाह,चिश्ती
मेरे खातर,
नहीं जलता
किसी मज़ार पर
मेरी ख़ुशनसीबी का
कोई दिया,
नही चढ़ती
मेरे नाम की
कोई झीनी-भीनी
चदरिया!

ख़ौफ़ज़दा कायनात...
ख़ामोश फ़िज़ा...
ज़िन्दगी जैसे
इक मर्सिया...

कैसा खेला
मेरा अल्लाह
तू है रचा!
काफ़िर तक यां
साथ न देता
औरत का!

                 -  रश्मि बजाज

                  

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