कई महाद्वीपों ,कई देशों
कई प्रदेशों में
आते रहे वो
और मैं
चुप रहा
या बोला
तो फिर
और मुद्दों पर
मुतमइन था
कि चुप रहा
या बोला हूं
तो और
मुद्दों पर ही
पर वो
आ गए
मेरे लिए भी...
और फिर
कुछ भी
कहने ,कहाने
सुनने, सुनाने को
नहीं बचा
कोई कहीं
धीरे-धीरे
निगल जाते हैं
मरुस्थल
मरुद्यानों को भी...
~रश्मि बजाज
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